Offbeat: स्तन ढकने पर दलित महिलाओं को चुकाना पड़ता था कर, ये है भारत का काला कानून, जिसे जानकर उड़ जाएंगे आपके होश
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आज़ादी से पहले, भारत में कई ऐसे कानून थे जो हाशिए पर पड़े समुदायों को निशाना बनाते थे। उनमें से, केरल के त्रावणकोर क्षेत्र में लागू किया गया "स्तन कर" (मुलक्करम) सबसे अपमानजनक था। इस क्रूर कर के तहत दलित महिलाओं को अपने शरीर के ऊपरी हिस्से यानी स्तन को ढकने के लिए टैक्स देना पड़ता था। इसका पालन न करने पर उन्हें कड़ी सज़ा दी जाती थी।
इस कानून के तहत, निचली जाति की महिलाओं को सार्वजनिक रूप से, उच्च जाति के पुरुषों या अधिकारियों के सामने अपने स्तनों को बिना ढके ऐसे ही रखना पड़ता था। अगर वे अपने शरीर को ढकना चाहती थी तो उन्हें अपने स्तनों के आकार के हिसाब से टैक्स यानी कर देना पड़ता था, जिससे उनका अपमान और बढ़ जाता था। त्रावणकोर के शासकों द्वारा अपने सलाहकारों के समर्थन से लागू की गई इस प्रथा को सख्ती से लागू किया गया।
इसका विरोध करने वाली महिलाओं को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते थे जिन्हे जानकर आपकी रूह काँप उठेगी। नंगेली नाम की एक दलित महिला ने इस अत्याचार का विरोध किया और उसे मार दिया गया। आपको बता दें, स्तन काटने की क्रूरता ने पूरे समाज को हिलाकर रख दिया था। उनका बलिदान प्रतिरोध का प्रतीक बन गया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया और इस अमानवीय व्यवस्था के खिलाफ़ उत्पीड़ित समुदायों को एकजुट किया।
दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में उल्लेख किया है कि त्रावणकोर के शासनकाल के दौरान केरल की खास समुदाय की महिलाओं को अपने कपड़ों को लेकर सख्त नियमों का पालन करना पड़ता था। ये नियम इतने सख्त थे कि किसी के कपड़ों को देखकर उसकी जाति का अंदाजा लगाया जा सकता था। 125 से अधिक वर्षों तक, ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बढ़ते विरोध और हस्तक्षेप के बावजूद यह प्रथा जारी रही।
ब्रिटिश गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने 1859 में फिर इस प्रथा को खत्म करने का आदेश दिया। ऐसे में नादर महिलाओं ने उच्च वर्ग की तरह कपड़े पहनकर विरोध जताया। आखिरकार 1865 में सभी को ऊपरी वस्त्र पहनने की आजादी मिल गई।