देश में शादी की मौसम चल रहा हैं और विवाह समारोहों में शुभता जरूरी हैं, ऐसे में शादी में वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को शामिल करने से नकारात्मकता हटती हैं और अच्छी उर्जा उत्पन्न होती हैं और कार्यक्रम की सफलता में योगदान मिल सकता है। आज हम इस लेख में, हम शादियों के दौरान विवाह हॉल और मंडप की स्थापना के लिए आवश्यक वास्तु युक्तियों का पता लगाएंगे, जिससे नवविवाहितों और मेहमानों के लिए सद्भाव और समृद्धि प्राप्त होती हैं।

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विवाह भवन का वास्तु:

  • स्टेज को पश्चिम दिशा में रखें, जिससे जोड़े को शुभ शुरुआत के लिए पूर्व की ओर मुख करने का मौका मिले। अनुकूल ऊर्जा के प्रवाह के लिए पूर्व या उत्तर दिशा में प्रवेश द्वार चुनें।
  • संतुलन और सामंजस्य बनाए रखने के लिए विवाह भवन के लिए वर्गाकार या आयताकार जैसे नियमित आकार का भूखंड चुनें।
  • सकारात्मक तरंगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे म्यूजिक सिस्टम और डांस फ्लोर को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।
  • समृद्धि और प्रचुरता के लिए सुनिश्चित करें कि भोजन तैयार करने वाले क्षेत्र दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित हों।

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बैठने की व्यवस्था और अतिथि सुविधाएं:

  • सुचारू प्रवेश और निकास की सुविधा के लिए मेहमानों के लिए उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में पार्किंग की सुविधा प्रदान करें।
  • मेहमानों के लिए दक्षिण-पश्चिम या उत्तर दिशा में बैठने की व्यवस्था करें, जो स्थिरता और सकारात्मकता के लिए जानी जाती है।

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  • उत्तर-पूर्व कोने में मंडप का निर्माण करें, आध्यात्मिक संरेखण के लिए पवित्र स्थान भी उत्तर-पूर्व में रखें। शुभता के लिए अग्नि दक्षिण-पूर्व कोने में जलानी चाहिए।
  • संतुलन और स्वच्छता बनाए रखने के लिए बाथरूम को उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रखें।

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