Offbeat: इस जगह छुपा कर रखे गए हैं कर्ण के कवच और कुंडल, जो एक बार किसी को मिल जाए तो वो बन जाएगा सर्वशक्तिमान

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महाभारत में दानवीर कर्ण का नाम आपने कई बार सुना होगा। उनके दान के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर है। कर्ण माता कुंती और सूर्य के अंश से जन्मे थे। उनका जन्म कवच और कुंडल के साथ ही हुआ था जिसे पहनकर उन्हें दुनिया में कोई भी हरा नहीं सकता था। लेकिन क्या आपको इस बारे में जानकारी है कि अब कर्ण के वो कुंडल और कवच कहां रखे हैं? कहते हैं अगर वो किसी को मिल जाए तो वह इंसान सर्वशक्तिमान बन सकता है। इस बारे में हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं कि वो कवच और कुंडल कहाँ है?

देवराज इंद्र ने छीना था कवच और कुंडल
कुंती की शादी पांडु से हुई थी, लेकिन कर्ण का जन्म कुंती के विवाह से पहले ही हो गया था। कर्ण बेहद ही दानवीर थे और किसी को दान देने में पीछे नहीं हटते थे। उनकी यही आदत उनकी मृत्यु का कारण बनी। उनके पास जो कवच और कुंडल था, उसके साथ दुनिया में उन्हें कोई हरा नहीं सकता था, लेकिन बेटे अर्जुन का साथ देने के लिए पिता देवराज इंद्र, ने छल से उनके कवच और कुंडल छीन ले गए।

इंद्र ने योजना बनाई कि जब कर्ण सूर्य देव की आराधना कर रहे होंगे उसी समय भिक्षुक का वेश बनाकर उनसे कवच और कुंडल मांग लेंगे। सूर्यदेव ने योजना के बारे में भी कर्ण को बता दिया था लेकिन फिर भी कर्ण अपने वचनों से पीछे नहीं हटे। उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी ये दोनों चीजें इंद्र को दे दी और फिर कृष्ण के इशारे पर अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया।

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कहाँ है वो कवच और कुंडल

कवच और कुंडल छीन लेने के बाद भी देवराज इंद्र को इनके साथ स्वर्ग में जाने नहीं दिया गया, क्योंकि उन्होंने छल से ये चीजे प्राप्त की थी। ऐसे में उन्होंने इसे किसी समुद्र के किनारे छिपा दिया। ये सब चंद्र देव ने देखा और कवच व कुंडल उठाकर भागने लगे। ये देख समुद्र देव ने उन्हें रोक लिया और तब से समुद्र और सूर्य देव इस कवच और कुंडल की रक्षा कर रहे हैं।

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यहां छिपा रखी हैं दोनों चीजें
कहा जाता है कि इस कवच और कुंडल को पुरी के पास कोणार्क में छिपाया गया है और कोई भी यहां तक नहीं पहुंच सकता। क्योंकि अगर किसी ने इस कवच और कुंडल को हासिल कर लिया, तो वो इसका गलत फायदा उठा सकता है।